डिस्लेक्सिया : कैसे समझें कि बच्चा डिस्लेक्सिया से पीड़ित है?

डिस्लेक्सिया एक सीखने में होने वाली समस्या है, जो किसी व्यक्ति की पढ़ने, लिखने और स्पेलिंग करने की क्षमता को प्रभावित करती है। डिस्लेक्सिया ऐसी स्थिति है जहां बच्चे अपनी उम्र के साथियों की तरह पढ़ाई करने में मुश्किल महसूस करते हैं, भले ही वे बुद्धिमान हों। एक अच्छे शिक्षक या अच्छे स्कूल से भी उनकी लेखन कौशल में सुधार नहीं हो सकता। दूसरे शब्दों में, डिस्लेक्सिया एक सीखने की समस्या है जो किसी भी चीज़ को प्रभावी रूप से सीखने में रुकावट डालती है।

इस समय, कई माता-पिता और शिक्षक बच्चों में डिस्लेक्सिया के लक्षणों को गलत समझते हैं, जिससे बच्चों को नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ता है। इस गलतफहमी के कारण बच्चों का आत्मविश्वास कम हो सकता है, जो उनकी ज़िंदगी भर बना रह सकता है। इसके अलावा, यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

अब सवाल यह है: माता-पिता और शिक्षक कैसे पहचान सकते हैं कि उनका बच्चा डिस्लेक्सिया से पीड़ित है? इन समस्याओं को समझना अक्सर माता-पिता और शिक्षकों दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, कुछ लक्षण हैं जो डिस्लेक्सिया की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। 1. समान आकार के अक्षरों के बीच भेद करने में कठिनाई। 2. बार-बार स्पेलिंग गलत होना। 3. दिशा (बाएं/दाएं) को पहचानने में गलती। 4. मौखिक अध्ययन को प्राथमिकता; पढ़ने या लिखने में अनिच्छा।

5. पढ़ाई की चुनौतियों का सामना करते समय जल्दी हार मान लेना; आत्मविश्वास कम होना। 6. लापरवाह या ध्यान न देने वाला लग सकता है। 7. पढ़ते समय ध्यान खो देता है। 8. रचनात्मक काम में बहुत अच्छा होता है। अगर माता-पिता और शिक्षक इन पैटर्न्स पर ध्यान दें, तो बच्चे की चुनौतियों को समझना आसान होगा। ऐसे मामलों में मनोचिकित्सक या विशेषज्ञ की मदद लेना बहुत जरूरी है।।

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