इंग्लैंड की क्रांति। Revolution in England.

17वीं शताब्दी का इंग्लैंड एक ऐसा समय था, जब देश में सत्ता संघर्ष और क्रांतियों का दौर चल रहा था। इन घटनाओं ने न केवल इंग्लैंड की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को बदला, बल्कि आधुनिक लोकतंत्र की नींव रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इंग्लैंड में गृहयुद्ध, मैग्नाकार्टा की स्थापना, गुलाबों का युद्ध और गौरवपूर्ण क्रांति जैसी घटनाओं ने एक स्थायी परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया।

गृहयुद्ध (1642-1649) इंग्लैंड में गृहयुद्ध का आरंभ 1642 ईस्वी में चार्ल्स प्रथम के शासनकाल में हुआ। चार्ल्स प्रथम ने खुद को ईश्वर का प्रतिनिधि मानते हुए संसद की शक्तियों को नकारने की कोशिश की। उन्होंने बिना संसद की अनुमति के टैक्स लगाए और अपने फैसले एकतरफा लिए। इस कारण संसद और राजा के बीच तनाव बढ़ता गया, जो अंततः गृहयुद्ध में बदल गया। इस युद्ध में राजा के समर्थकों को "कैवेलियर्स" और संसद के समर्थकों को "राउंडहेड्स" कहा गया।

ओलिवर क्रॉमवेल के नेतृत्व में संसद की सेना ने राजा को हरा दिया और 1649 में चार्ल्स प्रथम को फांसी दे दी गई। यह पहली बार था जब किसी यूरोपीय देश के राजा को जनता के अधिकारों के खिलाफ जाने पर दंडित किया गया था। गुलाबों का युद्ध और ट्यूडर वंश की स्थापना : गृहयुद्ध के बाद भी इंग्लैंड में शांति कायम नहीं हुई। 15वीं शताब्दी के मध्य में "गुलाबों का युद्ध" इंग्लैंड के दो प्रमुख परिवारों, यॉर्क और लैंकेस्टर के बीच संघर्ष का परिणाम था।

इस युद्ध ने इंग्लैंड की सत्ता संरचना को पूरी तरह से हिला दिया। इस संघर्ष के अंत में, हेनरी ट्यूडर, जो लैंकेस्टर वंश से संबंधित थे, ने विजय प्राप्त की और इंग्लैंड में ट्यूडर वंश की स्थापना की। ट्यूडर वंश ने इंग्लैंड की राजनीतिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव किए। ट्यूडर शासकों ने अपनी सत्ता को मजबूत किया और संसद को अपने अधीन कर लिया।

एलिजाबेथ प्रथम, जो इस वंश की एक प्रमुख शासक थीं, ने इंग्लैंड को राजनीतिक स्थिरता और सांस्कृतिक समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ाया। मैग्नाकार्टा: अधिकारों का बीज (1215) : 1215 ईस्वी में इंग्लैंड के राजा जॉन को उनके सामंतों ने "मैग्नाकार्टा" पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया। इस अधिकार-पत्र को इंग्लैंड के संवैधानिक विकास में मील का पत्थर माना जाता है। यह पहला ऐसा दस्तावेज़ था जिसने राजा की शक्तियों को सीमित किया और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की।

मैग्नाकार्टा ने भविष्य की संवैधानिक व्यवस्थाओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया और "कानून के शासन" की अवधारणा को मजबूत किया। गौरवपूर्ण क्रांति (1688) : 1688 ईस्वी में इंग्लैंड में एक ऐसी क्रांति हुई, जिसे "गौरवपूर्ण क्रांति" कहा जाता है। इस क्रांति ने देश को संवैधानिक राजशाही की ओर अग्रसर किया। तत्कालीन शासक जेम्स द्वितीय कैथोलिक थे और उनके शासन के तहत इंग्लैंड के प्रोटेस्टेंट नागरिक और संसद असंतुष्ट थे।

जब उन्होंने अपनी नीतियों को जबरन लागू करना शुरू किया, तो जनता और संसद ने उन्हें सत्ता से हटा दिया। उनकी जगह उनकी बेटी मैरी और दामाद विलियम ऑफ ऑरेंज को इंग्लैंड का शासक बनाया गया। गौरवपूर्ण क्रांति का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह लगभग रक्तहीन थी और इसके बाद इंग्लैंड में संवैधानिक राजशाही की नींव रखी गई। इस क्रांति ने संसद को सर्वोच्च शक्ति बना दिया और राजाओं की शक्तियों को कानून द्वारा नियंत्रित किया गया।

सौ वर्षीय युद्ध : इंग्लैंड और फ्रांस के बीच 1337 से 1453 तक चला "सौ वर्षीय युद्ध" भी इंग्लैंड की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डालने वाला संघर्ष था। इस युद्ध के दौरान इंग्लैंड ने फ्रांस में अपनी सत्ता को मजबूत करने का प्रयास किया, लेकिन अंततः इसे हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध ने इंग्लैंड की आंतरिक राजनीति को भी प्रभावित किया और गुलाबों के युद्ध के लिए पृष्ठभूमि तैयार की।

परिणाम और प्रभाव : इंग्लैंड में इन क्रांतियों और संघर्षों का परिणाम केवल सत्ता के बदलाव में नहीं था, बल्कि इससे इंग्लैंड की राजनीतिक व्यवस्था में स्थायी परिवर्तन हुए। मैग्नाकार्टा से लेकर गौरवपूर्ण क्रांति तक, इन घटनाओं ने इंग्लैंड में संवैधानिक राजशाही और लोकतांत्रिक विचारधारा की नींव रखी। आज की आधुनिक इंग्लैंड की राजनीतिक संरचना इन्हीं घटनाओं पर आधारित है।

यह सत्ता के केंद्रीकरण से विकेंद्रीकरण और लोकतंत्र की ओर बढ़ने की प्रक्रिया का प्रतीक है। इंग्लैंड में हुए ये संघर्ष और क्रांतियाँ दुनिया के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बनीं, खासकर अमेरिका और फ्रांस की क्रांतियों के लिए। इंग्लैंड की क्रांति केवल सत्ता संघर्ष की कहानी नहीं है, गृहयुद्ध, मैग्नाकार्टा, गौरवपूर्ण क्रांति और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं ने इंग्लैंड को संवैधानिक राजशाही में परिवर्तित किया और आधुनिक लोकतांत्रिक समाज की दिशा में अग्रसर किया।

इन घटनाओं ने न केवल इंग्लैंड बल्कि पूरे विश्व में शासन के नए मानक स्थापित किए।।

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