ज्वालामुखी। Volcano.
जब आप "ज्वालामुखी" शब्द सुनते हैं, तो आपके मन में आग और लावा का एक भयानक दृश्य उभर आता है। ज्वालामुखी धरती के वे पर्वत हैं जो गर्म पिघला हुआ चट्टान (molten rock), राख और गैस छोड़ते हैं। इस पिघले हुए पदार्थ का तापमान इतना अधिक होता है कि यह चमकदार आग जैसा दिखता है। ये आग उगलने वाले पर्वत ज्वालामुखी कहलाते हैं।
बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि ज्वालामुखी कितने खतरनाक हो सकते हैं। यह हमारी धरती पर सबसे विनाशकारी भूगर्भीय (geological) प्रक्रियाओं में से एक हैं।
ज्वालामुखी वे स्थान होते हैं जहाँ से धरती के नीचे जमा गर्म पिघला हुआ चट्टान, राख और गैस बाहर निकलते हैं। वर्तमान में, दुनिया में लगभग 1,500 सक्रिय (active) ज्वालामुखी हैं, और हर साल लगभग 50 से 70 ज्वालामुखी विस्फोट करते हैं।
ज्वालामुखी एक विशेष प्रकार का पर्वत होता है। इसके अंदर एक दरार या छेद से, धरती के भीतर जमा गर्म पदार्थ तेजी से बाहर आता है। इस प्रक्रिया को विस्फोट (eruption) कहा जाता है।
जिस रास्ते से यह पदार्थ बाहर निकलता है उसे वेंट (vent) कहते हैं, और ज्वालामुखी से निकला हुआ पदार्थ वेंट के चारों ओर जमा हो जाता है। विस्फोट तब होता है जब धरती के नीचे जमा द्रव चट्टान (मग्मा) का दबाव बढ़ जाता है और यह धरती की परत की दरारों या कमजोर रास्तों से बाहर निकलता है। जब यह मग्मा सतह पर आता है, तो इसे लावा (lava) कहा जाता है, और इसका तापमान 1250°C तक पहुँच सकता है।
कई बार, ज्वालामुखी से गरम राख, गैस और चट्टानों का मिश्रण भी बाहर निकलता है, जिसे पाइरोक्लास्टिक प्रवाह (pyroclastic flow) कहा जाता है। यह प्रवाह लगभग 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से फैल सकता है, और यह अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को जला देता है। इसके अलावा, ज्वालामुखी विस्फोट बाढ़, सुनामी (tsunami), और भूकंप (earthquake) का कारण भी बन सकते हैं। ज्वालामुखी के 32 किलोमीटर के दायरे को अत्यंत खतरनाक माना जाता है, और लगभग 35 करोड़ लोग दुनिया भर में इस खतरे के क्षेत्र में रहते हैं।
ज्वालामुखी को उनकी गतिविधि के आधार पर तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है: 1) सक्रिय (Active), 2) सुप्त (Dormant), और 3) मृत (Extinct)। समुद्र के नीचे भी असंख्य ज्वालामुखी हैं। सतह और समुद्र के नीचे के सभी ज्वालामुखी वहीं पाए जाते हैं जहाँ पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स (tectonic plates) आपस में मिलती हैं। प्रशांत महासागर के चारों ओर कई टेक्टोनिक प्लेट्स के मिलने से एक विशेष क्षेत्र बना है, जिसे "रिंग ऑफ फायर" (Ring of Fire) कहा जाता है। दुनिया के 75% ज्वालामुखी इसी रिंग ऑफ फायर में स्थित हैं।
इंडोनेशिया में सबसे ज्यादा ज्वालामुखी हैं, यहाँ 147 ज्वालामुखी हैं, जिनमें से 76 सक्रिय हैं। ज्वालामुखी विस्फोटों ने कई द्वीपों और दुनिया के कुछ सबसे ऊँचे पर्वतों का निर्माण भी किया है। ।