टेबल टेनिस का इतिहास। Table Tennis.
टेबल टेनिस, जिसे पिंग-पोंग के नाम से भी जाना जाता है, का जन्मदाता इंग्लैंड है। इस खेल का आधिकारिक रूप से संगठित स्वरूप 1926 ई. में स्थापित किया गया, जब इंटरनेशनल टेबल टेनिस एसोसिएशन (ITTF) की स्थापना की गई। यह संस्था टेबल टेनिस के वैश्विक खेल को संगठित और संचालित करने के उद्देश्य से बनाई गई थी।
पहली विश्व चैम्पियनशिप 1927 ई. में आयोजित की गई थी।
इसके बाद से हर दो वर्ष में टेबल टेनिस विश्व चैम्पियनशिप का आयोजन नियमित रूप से किया जाता है, जिसमें दुनिया भर के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं।
1988 में टेबल टेनिस को ओलंपिक खेलों में भी शामिल किया गया, जिससे इसकी लोकप्रियता और बढ़ गई। ओलंपिक में इसे चार श्रेणियों में खेला जाता है: पुरुषों और महिलाओं के सिंगल्स और डबल्स।
टेबल टेनिस की तकनीकी आवश्यकताएँ निम्नलिखित हैं:
टेबल की लम्बाई: 2.74 मीटर (9 फीट)
टेबल की चौड़ाई: 1.52 मीटर (5 फीट)
टेबल की ऊँचाई: 76 सेंटीमीटर
गेंद का वजन: 2.4 से 2.53 ग्राम
गेंद का रंग: सफेद या पीला
टेबल टेनिस में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख शब्दावली में शामिल हैं:
सर्विस: खेल की शुरुआत या अंक के लिए गेंद को मारने की प्रक्रिया।
पेनहोल्डर ग्रिप: रैकेट को पकड़ने की एक खास शैली।
बैक स्पिन: गेंद को रैकेट से मारते समय उसे पीछे की दिशा में घुमाना।
सेंटर लाइन: टेबल के मध्य की रेखा।
हाफ कोर्ट: टेबल का आधा भाग।
साइड स्पिन: गेंद को साइड से घुमाने की तकनीक।
स्विंग: रैकेट को घुमाने की क्रिया।
पुश स्ट्रोक: गेंद को धीरे से सामने की ओर धकेलने का शॉट।
रैली: लगातार कई बार गेंद का टेबल पर मारना और खेलना।
लेट: जब सर्विस के दौरान कोई नियमभंग हो जाए, और सर्विस दोबारा दी जाती है।
टॉप स्पिन: गेंद को ऊपर की दिशा में घुमाना।
चाइनीज ग्रिप: रैकेट पकड़ने की एक अन्य प्रसिद्ध शैली।
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