कोणार्क सूर्य मंदिर।
कोणार्क का सूर्य मंदिर भारतीय सांस्कृति का प्रतिक है जिसका महत्त्व प्राचीन समय से ही है। यह मंदिर एक भव्य रथ के रूप में निर्मित है जिसे बारह जोड़ी पहियों के साथ, सात घोड़े को खींचते हुए बनाया गया तथा उसमे सूर्य नारायण को विराजमान किया गया है। इस मंदिर का निर्माण 13 वी. शताब्दी में पूर्वी गंगवंश के राजा नरसिंह देव प्रथम ने करवाया था। कोणार्क का यह मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के पूरी जिला में स्थित है, जो अपनी कला और वास्तुकला के लिए सु-विख्यात है।
यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है तथा वहाँ के स्थानीय निवासी उन्हें बिरंचि नारायण कहते है। इस मंदिर में सूर्य देव की तीन प्रतिमाएं विराजमान है बाल्यावस्था - उदित सूर्य, युवावस्था - मध्याह्न सूर्य और प्रौढ़ावस्था अपराह्न सूर्य | यह सम्पूर्ण मंदिर सूर्य देव की भव्य यात्रा को प्रदर्शित करता है जो अतिशोभनीय
है।
यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत तथा कला के कृतियों से अलंकृत है।
कोणार्क सूर्य मंदिर के महत्त्व के कारण भारत सरकार ने इसे 10 रूपये के नोट के पीछे प्रदर्शित किया है और इसे यूनेस्को द्वारा सन 1984 में विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी गई।
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