यूरोपीय संघ (European Union-EU) : इतिहास और महत्व।
यूरोपीय संघ (EU) की शुरुआत 1 जनवरी, 1958 को हुई थी। इसे पहले यूरोपीय आर्थिक समुदाय (European Economic Community) के रूप में जाना जाता था। इसकी स्थापना यूरोप के 'इनर सिक्स' नामक छह देशों ने की थी, जिनमें फ्रांस, जर्मनी, इटली, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्ज़ेमबर्ग शामिल थे। इन देशों ने रोम की संधि (Treaty of Rome) के माध्यम से एक आर्थिक साझेदारी की शुरुआत की थी, जो आगे चलकर यूरोपीय संघ के रूप में विकसित हुई।
यूरोपीय आर्थिक समुदाय से यूरोपीय संघ तक का सफर :
यूरोपीय आर्थिक समुदाय का मुख्यालय जेनेवा में स्थित है। 9-10 दिसंबर, 1991 को नीदरलैंड के मास्ट्रिच शहर में 12 यूरोपीय देशों ने एक महत्वपूर्ण संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसे मास्ट्रिच संधि (Maastricht Treaty) कहा जाता है। इस संधि के बाद, यूरोपीय संघ को एक वास्तविक स्वरूप प्राप्त हुआ और यह केवल आर्थिक संगठन न रहकर राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी विस्तार करने लगा।
सदस्य देशों का विस्तार और क्रोएशिया की एंट्री :
यूरोपीय संघ में वर्तमान में 28 सदस्य देश शामिल हैं। 1 जुलाई, 2013 को क्रोएशिया इसका हिस्सा बना, जो संघ का सबसे नया सदस्य है। यह विस्तार संगठन की शक्ति और प्रभाव को दर्शाता है, जो समय के साथ बढ़ता गया है।
यूरो मुद्रा (Euro Currency) का परिचय :
1 जनवरी, 1994 को स्वतंत्र यूरोपीय मुद्रा संस्थान की स्थापना की गई, जो यूरोपीय मुद्रा 'यूरो' के चलन और संचालन को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार था।
यूरोपीय सेंट्रल बैंक (European Central Bank) की स्थापना जून 1998 में फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य यूरो की स्थिरता बनाए रखना है।
1 जनवरी, 2002 को यूरो का औपचारिक रूप से चलन शुरू हुआ। यूरोपीय संघ के 28 में से 18 सदस्य देश वर्तमान में यूरो मुद्रा का उपयोग कर रहे हैं। इनमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लातविया, लक्ज़ेमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, और स्पेन शामिल हैं।
हालांकि, ब्रिटेन, स्वीडन और डेनमार्क ने यूरो को अपनाने का निर्णय नहीं लिया है और वे अभी भी अपनी स्वतंत्र मुद्रा का उपयोग करते हैं।
यूरोपीय संघ एक महत्त्वपूर्ण संगठन है जो विभिन्न देशों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देता है। आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में इसके योगदान ने इसे दुनिया के सबसे प्रभावशाली संगठनों में से एक बना दिया है।
यूरो मुद्रा का प्रचलन इसके सदस्य देशों को एक आर्थिक धारा में जोड़ता है, जो वैश्विक स्तर पर यूरोपीय संघ की सुदृढ़ स्थिति को दर्शाता है।।