देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश : जस्टिस संजीव खन्ना। 51st Chief Justice of the country: Justice Sanjiv
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना जल्द ही देश के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने वाले हैं। वे 11 नवंबर को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। वर्तमान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस खन्ना के नाम की औपचारिक सिफारिश केंद्र सरकार से कर दी है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को अपने कार्यकाल से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिसके ठीक अगले दिन जस्टिस खन्ना यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालेंगे।
जस्टिस संजीव खन्ना का न्यायिक सफर
जस्टिस संजीव खन्ना का कानूनी करियर तीन दशकों से भी अधिक का है, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले दिए हैं और न्यायपालिका को एक नई दिशा दी है। उनकी कानूनी यात्रा 1983 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में नामांकन किया। शुरुआत में उन्होंने तीस हजारी जिला अदालतों में प्रैक्टिस की और बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर रुख किया।
महत्वपूर्ण पदोन्नतियाँ और योगदान :
जस्टिस खन्ना को 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया, और 2006 में वे स्थायी न्यायाधीश बन गए। इस दौरान, उन्होंने कई अहम मामलों में निर्णय दिए, जो न्यायिक प्रणाली को और अधिक मजबूत और पारदर्शी बनाने में सहायक रहे। इसके साथ ही, उन्होंने दिल्ली न्यायिक अकादमी, दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र, और जिला न्यायालय मध्यस्थता केंद्रों में भी सक्रिय योगदान दिया है।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल :
जस्टिस खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल 11 नवंबर 2024 से शुरू होकर 13 मई 2025 तक चलेगा। उनके इस कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसलों और न्यायिक सुधारों की उम्मीद की जा रही है। वे दूसरे वरिष्ठतम जज हैं, जो इस पद पर पहुंच रहे हैं, और उनके पास न्यायिक मामलों का गहरा अनुभव है।
एक नया अध्याय न्यायपालिका के लिए :
जस्टिस संजीव खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करना भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। उनके अनुभव और न्यायिक समझ के चलते न्यायपालिका को नए आयामों पर ले जाने की उम्मीद है। आने वाले समय में, उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में कई अहम मामलों पर फैसले आने की संभावना है, जो देश के न्यायिक परिदृश्य को प्रभावित करेंगे।
उनका यह नया सफर भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए एक नया अध्याय साबित होगा, जिसमें पारदर्शिता, निष्पक्षता, और कानून के प्रति समर्पण की झलक देखने को मिलेगी।।