देशी रियासतों का भारत में विलय और सरदार वल्लभभाई पटेल। Merger of princely states into India and Sard
आजादी के समय भारत कई छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा हुआ था। इन रियासतों को भारत में सम्मिलित करने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल ने अहम भूमिका निभाई। उनकी अगुवाई में 'रियासती मंत्रालय' का गठन किया गया। इस मंत्रालय का काम भारत के नक्शे को एकजुट करना था।
जूनागढ़ रियासत :
जूनागढ़ एक महत्वपूर्ण रियासत थी, जहां के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया था। लेकिन वहाँ की जनता ने इसका विरोध किया।
जनमत संग्रह (मतदान) के माध्यम से यह तय हुआ कि जूनागढ़ भारत का हिस्सा बनेगा। इसके बाद जूनागढ़ भारत में शामिल हो गया।
हैदराबाद रियासत :
हैदराबाद एक बहुत बड़ी और समृद्ध रियासत थी, जिसके निजाम (शासक) ने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया। तब पटेल ने 'पुलिस कार्रवाई' का सहारा लिया। इस कार्रवाई को 'ऑपरेशन पोलो' कहा गया। इसके तहत भारतीय सेना ने हैदराबाद में प्रवेश किया और रियासत का भारत में विलय हो गया।
जम्मू और कश्मीर रियासत :
जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने शुरुआत में भारत या पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला नहीं किया था। लेकिन पाकिस्तान के आक्रमण के बाद उन्होंने भारत से मदद मांगी। तब सरदार पटेल ने महाराजा से 'विलय-पत्र' पर हस्ताक्षर करवाए, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया।
सरदार वल्लभभाई पटेल के इस योगदान के कारण उन्हें 'लौह पुरुष' के रूप में याद किया जाता है।।