भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री। First woman Prime Minister of India.
भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री, श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को एक प्रतिष्ठित और राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवार में हुआ था। वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुत्री थीं और बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी रखती थीं। उनका शिक्षण प्रतिष्ठित संस्थानों से हुआ, जिनमें स्विट्जरलैंड के इकोले नौवेल्ले, ब्रिटेन के बैडमिंटन स्कूल, शांति निकेतन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय शामिल हैं।
इसके अलावा, उन्हें विश्व के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया, जो उनकी शैक्षणिक श्रेष्ठता का प्रमाण है।
श्रीमती इंदिरा गांधी की प्रारंभिक जीवन की रुचि और सक्रियता स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी थी। बाल चरखा संघ की स्थापना और 1930 में असहयोग आंदोलन के दौरान वानर सेना का गठन उनकी नेतृत्व क्षमता और राष्ट्रवादी भावना को दर्शाता है। उनके जीवन का यह प्रारंभिक दौर उन्हें भारतीय राजनीति के केंद्र में लाने वाला था।
1942 में फिरोज गांधी से विवाह के बाद, उन्होंने दो पुत्रों के साथ अपने जीवन को संतुलित किया और 1950 के दशक तक भारतीय राजनीति में अपना प्रभाव स्थापित किया। 1955 में कांग्रेस कार्य समिति की सदस्यता के बाद, वह पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं, जैसे कि 1959 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष और बाद में केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य। उनका करियर तब उच्चतम शिखर पर पहुंचा जब 1966 में उन्हें भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया।
इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक घटनाएं हुईं। उन्होंने परमाणु ऊर्जा मंत्री, विदेश मंत्री, गृह मंत्री जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व किया और भारत को विश्व मंच पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। उनका सबसे बड़ा योगदान 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बांग्लादेश की स्वतंत्रता दिलाने में था, जिसके लिए उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए।
इंदिरा गांधी का जीवन सिर्फ एक राजनीतिज्ञ का नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक नेतृत्व का प्रतीक है। उन्होंने अपने शासनकाल में न सिर्फ भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास पर ध्यान दिया, बल्कि अंतरिक्ष और परमाणु क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। 1972 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके योगदान की मान्यता थी।
उनका राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा, लेकिन उन्होंने अपने दृढ़ निश्चय और साहसी नेतृत्व से देश का मार्गदर्शन किया।
उनका जीवन, विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण और भारतीय राजनीति में महिलाओं की भूमिका को लेकर एक प्रेरणादायक उदाहरण बना रहा।।