AF की पहली महिला युद्ध पायलट गुंजन सक्सेना।

फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना, जिन्हें "कारगिल गर्ल" के नाम से जाना जाता है, भारत की पहली महिला IAF पायलट हैं जिन्होंने युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरी। 1999 के कारगिल युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हुए कई घायल और शहीद सैनिकों को सुरक्षित निकाला। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें कई वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें "शौर्य वीर" सम्मान भी शामिल है। गुंजन सक्सेना का जन्म 1975 में एक सेना परिवार में हुआ था।

उनके पिता और भाई लेफ्टिनेंट कर्नल रह चुके थे, जिससे उनके भीतर सेना में जाने की प्रेरणा मिली। बचपन से ही उनका सपना पायलट बनने का था। उनके पिता अनूप कुमार सक्सेना ने उनके इस सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, भारतीय वायु सेना में जाने की उनकी राह आसान नहीं थी। मेडिकल टेस्ट के दौरान उन्हें अस्वीकृत कर दिया गया क्योंकि उनकी ऊंचाई 1 सेमी कम और वजन 7 किलोग्राम ज्यादा था।

लेकिन दो सप्ताह की कड़ी मेहनत से उन्होंने अपना वजन घटा लिया और हाथ-पैर की लंबाई के आधार पर उनका चयन IAF में हो गया। 1996 में गुंजन IAF में शामिल हुईं और उनकी पहली पोस्टिंग फ्लाइट लेफ्टिनेंट के रूप में उधमपुर में हुई। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें श्रीनगर में तैनात किया गया, जहां उन्होंने ऑपरेशन विजय में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने सैकड़ों उड़ानें भरीं और युद्ध में 900 से अधिक घायल सैनिकों को सुरक्षित निकाला।

गुंजन सक्सेना की प्रेरणादायक कहानी पर आधारित 2020 में एक फिल्म "गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल" बनी, जो उनकी जिंदगी और वीरता को बड़े पर्दे पर चित्रित करती है।।

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